कर्नाटक में खिला 'कमल'

धरमसिंह धराशायी, येदियुरप्पा 28 मई को शपथ लेंगे
बंगलुरु, रविवार, 25 मई
दक्षिण
भारत में अपनी सरकार बनाने की लंबे समय से लालसा रखने वाली भाजपा की मुराद अन्तत: पूरी हो गई, जब कर्नाटक विधानसभा में उसने लगभग बहुमत हासिल कर लिया, लेकिन तीन सीटों की कमी रह गई।नब्बे के दशक की शुरुआत में राम जन्मभूमि आंदोलन की पृष्ठभूमि में शनै-शनै कदम बढ़ाने वाली भाजपा ने कर्नाटक की 224 सदस्यीय विधानसभा में 110 सीटें हासिल की हैं, जो बहुमत से तीन कम हैं। पिछली दफा के मुकाबले कांग्रेस के प्रदर्शन में भी सुधार हुआ है और उसने 80 सीटों पर कब्जा किया है।पिछले साल कर्नाटक के सबसे कम समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले 66 वर्षीय बीएस येदियुरप्पा के 28 मई को राज्य के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने की संभावना है। पिछली दफा वह मात्र सात दिन तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे थे।भाजपा विधायक दल की सोमवार को बैठक बुलाई गई है, जिसमें येदियुरप्पा को नेता चुना जाएगा जिसके बाद वे सरकार बनाने का दावा करने के लिए राज्यपाल से मिलेंगे।कर्नाटक में जीत से उत्साहित भाजपा नेतृत्व ने कहा कि इन परिणामों ने अगले लोकसभा चुनावों की लड़ाई में पार्टी को दौड़ में आगे कर दिया है। कांग्रेस और भाजपा के साथ राज्य में सत्ता का लुत्फ उठाने के बाद उनके नीचे से गलीचा खींचने वाली जदएस सिर्फ 28 सीटों पर सिमट गई है, जो 2004 में उसे हासिल सीटों से 30 कम है। जदएस ने पिछले नवंबर में भाजपा का दामन छोड़ दिया था।कर्नाटक में 1983 में दिवंगत रामकृष्ण हेगड़े के नेतृत्व में बनने वाली पहली गैर कांग्रेसी सरकार के गठन में भाजपा के 18 विधायकों ने भूमिका निभाई थी। भाजपा 2004 के चुनावों में भी सबसे बड़ी पार्टी थी। तब उसे 79 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस की झोली में 65 सीटें आई थीं।भगवा उभार ने कांग्रेस के कई दिग्गजों को चारों खाने चित्त कर दिया है, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री एन. धरमसिंह, आरवी देशपांडे और अभिनेता अम्बरीष शामिल हैं। साथ ही इसने बसपा सपा जदयू और स्थानीय कन्नड़ चलवली पार्टी जैसे खिलाड़ियों को हाशिए पर धकेल दिया है, जिनकी झोली खाली रही। अन्य के खाते में गई छह सीटों में एक माकपा को मिली है।येदियुरप्पा ने पूर्व मुख्यमंत्री एस. बंगरप्पा को पराजित कर जीत का स्वाद चखा, जो शिकारीपुरा में कभी विधानसभा चुनाव में पराजित नहीं हुए थे। इस सीट पर कांग्रेस और जदएस ने भाजपा नेता की पराजय सुनिश्चित करने के लिए उम्मीदवार नहीं उतारा था। बंगरप्पा के पुत्रों मधु और कुमार को भी पराजय का सामना करना पड़ा है।भाजपा का प्रदर्शन महत्वपूर्ण है क्योंकि दक्षिण कर्नाटक के कुछ इलाकों को छोड़ दिया जाए तो इसने सभी जगहों पर बेहतरीन प्रदर्शन किया है। दक्षिण कर्नाटक जदएस का गढ़ माना जाता है। भाजपा के लिए यह जीत बदला लेने जैसी है क्योंकि जदएस के साथ रिश्तों में उतार-चढ़ाव के बाद उस पर सात दिन की सरकार बनाने का कलंक लगा था, जिसे पिछले साल जदएस ने गिरा दिया था।
कर्नाटक : दलीय स्थिति
कुल सीटें : 224
परिणाम घोषित : 224
भाजपा : 110
कांग्रेस : 80
जदएस : 28
अन्य : 06

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